पाठ्यक्रम विवरण:
यह पाठ्यक्रम उन युवाओं के लिए डिज़ाइन किया गया हैए जो उद्यमी बनना चाहते हैं और इसके अलावा यह पाठ्यक्रम कृषि प्रथाओं के साथ व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में व्यवसाय प्रबंधन कौशल विकसित करने का अवसर मिल सकता है।
पाठ्यक्रम के लाभ:
उद्देश्य:
1: मधुमक्खी पालन और शहद प्रसंस्करण की विभिन्न तकनीकों के साथ साथ विपणन के बारे मे आत्मनिर्भर बने।
2: उद्यमिता विकास के संबंध में मधुमक्खी पालन और शहद प्रसंस्करण के महत्व को समझे ।
3: आय सृजन के लिए वर्ष भर मधुमक्खी परिवारों के प्रबंधन की रणनीतियों को पहचानें।
4: मधुमक्खी पालन व्यवसाय के महत्व को समझें।
5: मधुमक्खी पालन से फसलों मे परागण एकृषि उपज मे बृद्धि एवं खाद्य सुरक्षा में योगदान ।
6: शहद, मोम, प्रोपोलिस और रॉयल जेली जैसे मूल्यवान छत्ता उत्पादों का विभिन्न पाक, औषधीय और व्यावसायिक उपयोगिता।
7: मधुमक्खी स्वास्थ एवं आबादी को बनाए रखकर परागणक प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देकर जैव विविधता का समर्थन।
8: मधुमक्खी एवं अन्य परागण कर्ताओ को कीटनाशकों से सुरक्षा।
9: छत्ता उत्पादों, परागण सेवाओं और मधुमक्खी से संबंधित उत्पादों और सेवाओं की बिक्री के माध्यम से मधुमक्खी पालकों के आर्थिक स्थिति मे सुधार ।
10: पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाये रखने मे मधुमक्खी पालन का महत्व।
पाठ्यक्रम के अपेक्षित परिणाम:
1: यह पाठ्यक्रम वैकल्पिक आय सृजन के बारे में बुनियादी ज्ञान प्रदान करेगा ।
2: यह प्रशिक्षण उद्यमिता के लिए अच्छा कौशल विकास तैयार करेगा।
पाठ्यक्रम की रूपरेखा:
साप्ताहिक: 2 व्याख्यान कक्षाएं और 2 प्रायौगिक कक्षाएं।
व्याख्यान | प्रायौगिक |
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मधुमक्खी पालन का महत्व, मधुमक्खी पालन के मूल सिद्धांत, मधुमक्खी पालन का विकास, मधुमक्खी पालन का मौसमी प्रबंधन, मधुमक्खियों के कीटए रोग और उनका प्रबंधन, मधुमक्खी पालन के उपकरण एवं उनकी उपयोगिता, मधुमक्खी गृह के उत्पादों की उत्पादन, प्रसंकरण, भंडारण एवं बिक्री, मधुमक्खियों की जीवनाशी रसायनों से सुरक्षा मधुमक्खियो का फसलों उत्पादन ने योगदान, मधुमक्खी पालन का आर्थिक विश्लेषण एवं सरकारी योजनाएं। | मधुमक्खी पालन की विभिन्न प्रजातियों की पहचान, मधुमक्खी पालन स्थान का चयन, मधुमक्खी वनस्पति, मधुमक्खी कॉलोनी का निरीक्षण, मधुमक्खियों को खाना, मधुमक्खी विषाक्तता, झुंड को नियंत्रित करना, छत्ते का निरीक्षण, लूटमार रोकथाम और मौसमी प्रबंधन, मधुमक्खियों के कीड़ों और बीमारियों की पहचान एवं निदान, जैसे-ब्रूड रोग, प्रोटोजोआ रोग, वायरल रोग, फंगल इत्यादि।मधुमक्खी पालन के उपकरण एवं उनके उपयोग, कालोनियों का स्थानांतरण, कालोनियों का गुणन, मधुमक्खी कालोनियों को एकजुट करना, झुंड का संग्रह और मधुमक्खी के छत्ते में स्थानांतरण, रानी उत्पादन तकनीक, शहद संचयन तकनीक, शहद का निष्कर्षण, निष्कर्षण मधुमक्खी पराग, मधुमक्खी मोम का निष्कर्षण और मधुमक्खी प्रोपोलिस का निष्कर्षण। मधुमक्खी उत्पादों के प्रसंस्करण के तरीके, मधुमक्खी उत्पादों से तैयार विभिन्न उप-उत्पादों की तैयारी। |
पाठ्यक्रम अवधि: 3 महीने
पाठ्यक्रम निदेशक
नाम | पद का नाम | ईमेल | पता |
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डॉ. ऊषा | सहायक प्रोफेसर, कीट विज्ञान | ushamauryaento@yahoo.com | कृषि महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी |
पाठ्यक्रम समन्वयक
नाम | पद का नाम | ईमेल | पता |
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डॉ.योगेन्द्र कुमार मिश्रा | सहायक प्रोफेसर, कीट विज्ञान | yogendramishra5926@gmail.com | कृषि महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी |
डॉ. विजय कुमार मिश्रा | शिक्षण सह अनुसंधान सहयोगी, कीट विज्ञान | premvijaybhu@gmail.com | कृषि महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी |
डॉ. सुंदर पाल | शिक्षण सह अनुसंधान सहयोगी, कीट विज्ञान | sun.csaent@gmail.com | कृषि महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी |